शायद आपने Aristotle का ये कथन सुना होगा , “ मनुष्य एक सामजिक प्राणी है .” ,” Man is a social animal”, सच ही तो है ..हम सभी किसी न किसी समाज का हिस्सा हैं , और अपनी life normally जीने के लिए इस समाज के अन्य लोगों पर depend करते हैं .
और ये dependency हर stage पे होती है , चाहे हम 5 साल के हों या पच्चीस साल के ..हमें अपना काम करने के लिए दूसरों की मदद की ज़रुरत पड़ती ही पड़ती है .
हम कोई भी हेल्प directly लेते हैं या indirectly.
For instance: अगर आप एक अच्छी सी job की तालाश में हैं और अपने किसी दोस्त से उसकी company में interview arrange कराने के लिए कहते हैं तो ये direct form of help हुई .
एक दूसरे case में आप जानते हैं की आपके दोस्त के भैया किसी multinational company में काम करते हैं और आप उस दोस्त से अपनी CV उसके भैया को forward करने को कहते हैं , तो ये एक indirect form of help हुई .
यानि अगर DOER (जो actually आपका काम करता है ) आपसे directly related है तो help direct हुई , और अगर indirectly related है तो indirect हुई .
Definitely, help लेने -देने से related आपके बहुत सारे personal experiences होंगे . पर ज्यादातर लोग agree करेंगे कि बहुत बार वो कोई काम किसी से कहते हैं पर वो पूरा नहीं होता है . For example: आपने किसी दोस्त से एक महीने पहले आपके लिए मकान ढूढने के लिए कहा पर उसने कोई effort नहीं किया . या ऊपर लिए job वाले example में job interview के लिए कोई call ही नहीं आई .
ऐसा क्यों होता है की आपको expected help नहीं मिल पाती .?
दरअसल , ये human nature होता है कि जो चीज हमसे directly related नहीं होती हम उस पर अधिक ध्यान नहीं देते . इसलिए जब आप कोई काम किसी को देते हैं तो वो व्यक्ति sincerely उस काम को करने में interest दिखता है पर कुछ ही समय बाद वो उसके mind से गायब हो जाती है , and most of the time वो जान –बूझ कर ऐसा नहीं करता ,वो तो बस अपने routine work में मशगूल हो जाता है और आपका काम भूल जाता है.
तो क्या करें कि काम पूरा हो जाये या at least उसके होने के chances बढ़ जाएं ?
ये बिलकुल सीधा और आसान है – FOLLOW UP करें .
यानि आपने जो काम सौंपा है उसके बारे में फिर से पूछें , doer को remind कराएं .
और चाहे आप directly help ले रहे हों या indirectly दोनों ही cases में काम पूरा हो इसके लिए follow- up ज़रूरी है.
No Follow up Vs Follow up
जब आप अपनी help की request के बाद कई दिनों तक follow up नहीं करते हैं , तो doer आपका काम भूल जाता है, या even अगर उसे याद रहता है तो भी वो ऐसा सोच सकता है कि may be आपने येही request और लोगों से भी की होगी और आपका काम हो चुका होगा .
और जब आप follow up करते हैं तो वह सामने वाले के लिए सिर्फ एक reminder ही नहीं होता , बल्कि वो आपकी sincerity को भी दर्शाता है . और इस बात को emphasize करता है कि आप उस व्यक्ति पर सचमुच बहुत depend कर रहे हैं , और तब वो थोडा serious हो जाता है , और आपके काम को importance देने लगता है . और इससे एक और चीज होती है , अगर doer के सामने आपसे related कोई opportunity आती है तो तुरंत उसका mind strike करता है कि ये आपके लिए useful हो सकत है , और वो आपको inform कर देता है , वहीँ अगर आप touch में नहीं होते हैं तो opportunity यूँही निकल जाती है .
Help लेते समय किन बातों का ध्यान रखें :
• Help तभी लें जब आपको genuinely उसकी need हो .
• Help लेते समय गंभीरता दिखाएं , low sounding sentences ना कहें , जैसे कि , “ देखिएगा ,…हो जाये तो ठीक है ….” या फिर ….” और लोगों से भी कहा है …time मिले तो आप भी देख लीजियेगा ”,. Etc…ऐसा कहते ही आपको help मिलने के 95% chances ख़त्म हो जायेंगे .
• ऐसे sentences का use करें , “ Please पूरी कोशिश कीजियेगा , I really need your support” या “ ये काम होना मेरे लिए बहुत ज़रूरी है , मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा ” ,etc
• जिससे भी हेल्प ले रहे हों , उसे कम ना आंकें उसकी respect करें, हम अक्सर लोगों को उपरी तौर पर ही जानते हैं, किसके क्या कॉन्टेक्ट्स हैं , relations हैं ये बता पान मुश्किल होता है .
• आप उस person की contact details अच्छे से save कर लें , mobile no, email id, and most importantly उसका नाम , कई बार लोग बस इसलिए follow up नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें बन्दे का नाम ही भूल जाता है .
• यदि आप indirect help ले रहे हैं तो भी आप DOER की contact details, etc ले लें .
• Indirect help लेते वक़्त भी आप follow up के लिए अपने direct contact पर depend मत रहिये , खुद ही ये काम कीजिये . इससे दो फायदे होंगे , पहला आपका direct contact कोई burden नहीं feel करेगा ( remember s/he too is busy and you should respect his/her time) और दूसरा DOER आपके काम को lightly नहीं लेगा .
• काम हो जाने पर न सिर्फ उस व्यक्ति को thanks करें जिसने काम कराया बल्कि उन सबको भी जिन्होंने आपके लिए try किया . और indirect help के case में Doer और अपने Direct contact दोनों को thanks करना ना भूलें .
Follow up में किन बातों का ध्यान रखें ?
• Directly phone करने से बेहतर होगा …पहले email करना , अगर जवाब न मिले तो sms करना , और अगर तब भी answer न आये तो phone करना . वैसे ये बहुत हद्द तक आपकी doer से कैसी रिलेशन है पर depend करेगा.
• अपने काम के लिए रोज़ रोज़ न फॉलो अप करें , इससे व्यक्ति irritate हो सकता है , रोज़ रोज़ order देने वाले follow up कर सकते हैं request करने वाले नहीं ! अगर urgency बहुत अधिक न हो तो हफ्ते में एक बार would be enough.
• Follow up में बहुत अधिक gap भी न रखें at least once in 10 days ज़रूर remind करें .
• Odd time पर न disturb करें , specially acquaintances को , बात करने से पहले पूछ लें कि क्या अभी बात करने का सही समय है ?
• Doer को बात – बात में ये बता दें कि आप एक -आध हफ्ते में फिर से contact करेंगे , ऐसा करने से उसपर थोडा सा प्रेशर आएगा , and s/he may put some more efforts. साथ ही जब next time आप कॉल करेंगे तो उसे odd नहीं लगेगा.
• धैर्य बनाये रखें. It takes time.
Friends , human mind के दो part में divide कर सकते हैं conscious और sub-conscious. Conscious को आप computer की Random Access Memory (RAM) कह सकते हैं और subconscious को Hard disk (HD) (data storage device) . जब हम किसी को काम कहते हैं तो वो पहले RAM में जाता है और कुछ समय बाद HD में चला जाता है ….अगले कुछ दिन तक ऐसा चलता है आपका काम RAM से HD और HD से RAM में load होता रहता है …पर दो-तीन दिन बाद वो HD में ही रह जाता है और RAM तक नही पहुँच पाता …पर जैसे ही आप follow up करते हैं वो दुबारा RAM में आना शुरू हो जाता है …और अगर Doer से काम कराना है तो काम को RAM में लाना ही होगा …इसलिए बस इतना याद रखिये कि काम कराना है तो simply follow up.
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