PARSONALITY DEVELOPMENT
Monday, June 13, 2016
फिट रहें :-
कहते है की स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग रहता है। इसलिए अपने शरीर को फिट रखें। इसके लिए आप सुबह उड़कर व्यायाम एवं शाम के समय जिम भी कर सकते है। हरी सब्जिओं का अधिक सेवन करे और प्रयाप्त मात्रा में पानी पिए।ड्रेसिंग सेन्स का ध्यान रखें :-
ड्रेसिंग सेंस किसी की भी पर्सनालिटी में चार चाँद लगा सकता है. इसलिए कपड़े ना बहुत ढीले हो और ना ही बहुत टाइट। इसके आलावा फैशन के अनुसार कपडे पहने। कपडे साफ स्वछ एवं प्रेस किये होने चाहिए।स्वागत मुस्कराहट के साथ करें :-
स्मार्ट लोगो की पहिचान होती वे वातावरण को खुशनुमा बना देते है। जिसकी सुरुवात मुस्कराहट से हो सकती है। किसी से भी हाथ मिलते समय, हाथ को गर्मजोशी के साथ मिलाये। हाथ को ना तो बिलकुल ढीला रखे न ही इतना टाइट की सामने वाले के हाथ में दर्द होने लगे।दिल से नहीं दिमाग से फैसला लें :-
स्मार्ट लोग हमेशा दिल से नहीं दिमाग से फैसला लेते है। अगर आप कोई भी निर्णय जल्दबाजी में और बिना सोच समझ कर करेंगे तो उसका परिणाम अच्छा आने की संभावना बहुत कम है। सफलता स्मार्ट लोगो की पहचान होती।इसलिए हमेशा निर्णय सोच समझ कर लें।अपने आप को अपडेट रखें :-
आज के समय में बहुत जरुरी है कि आपको जानकारी हो की इस समय आपके आसपड़ोस एवं दुनिया में क्या चल रहा है। इसके लिए आप न्यूज़ पेपर अथ्वा टीवी पर न्यूज़ अवश्य देखे। मान लो किसी ने आपसे पूछ लिया की अमेरिका जो कर रहा है वह अच्छा है या बुरा। इसलिए अपनी स्मार्टनेस प्रूफ करने के लिए करेक्ट अफेयर्स की जानकारी बहुत जरुरी है।अपने ब्यबहार में मिचोरिटी लाये :-
अगर आप अपने व्यव्हार में परिपक्वता लाएंगे तो आपको सम्मान प्राप्त होगा और आपको रेस्पेक्ट दी जागेगी। कोई भी इस्त्री या पुरुष हमेशा एक परिपक्व इन्सान की और आकृर्षित होता है। अपरिपक्व लोगों का हमेशा ही इस समाज में फायदा उठाया जाता है।Thursday, July 17, 2014
your Success Diary
आपकी Success Diary
Friends, यदि आप AKC के regular reader हैं तो शायद आपने कुछ एक लेख में मेरी डायरी के बारे में पढ़ा होगा . आज मैं इसी के बारे में आपको बताऊंगा .
मैं अपनी इस diary को कहता हूँ …. “My Success Diary” ….यह नाम इसलिए क्योंकि इस diary का और Success पाने के लिए मेरे efforts का सीधा सम्बन्ध है . मैं अपनी life में जो कुछ भी करना चाहता हूँ , जिस तरह से करना चाहता हूँ , जिस समय करना चाहता हूँ वो सब इसमें लिखा हुआ है ….और ऐसा नहीं है कि मैंने एक बार यह सब लिखा और इसे आलमारी में सजा कर रख दिया ….मैं लगभग हर दूसरे दिन इसमें अपनी thoughts, अपनी intentions और अपनी progress लिखता हूँ .मैं इसमें सिर्फ ये नहीं लिखता कि मुझे क्या पाना है ; मुझे जो पाना है उसे already पाया हुआ मान कर अपनी feelings लिखता हूँ , अपनी ख़ुशी को व्यक्त करता हूँ .
जब कभी मैं पिछले पन्नो को पलटकर देखता हूँ तो मुझे भी अचरज होता है कि मैंने अपने सपनो को लेकर ऐसी कई बातें लिखी थी जो आगे चलकर शब्दश: सच हुईं हैं . इनमे से ज्यादातर AchchiKhabar.Com को लेकर हैं , और कुछ मेरी job और मेरी wife Padmaja के सपनो को लेकर भी . For example: मैंने आज डायरी उठा कर देखी तो बहुत पहले diary में एक line लिखी थी कि , “Pam has got a job in VLCC and we are enjoying her success” और 22-06-11 को उसके पास हकीकत में वो job थी . इसी तरह जबसे मैंने AKC की शुरआत की है तभी से इस diary में लिखता हूँ कि “AKC has become the world’s most read Hindi Blog and it is getting 1 lac page views per day.” और सच-मुच आज AKC दुनिया का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला हिंदी ब्लॉग बन गया है …हालांकि अभी per day 23-24k page views ही होते हैं …but I am sure कि 1 lac का लक्ष्य भी एक दिन पूरा हो जायेगा .
क्या होता है जब आप diary लिखते हैं ?
1) अपने goals को लेकर आपकी खुद की clarity बढती है . Written goals Unwritten goals से कहीं जयादा powerful होते हैं .
2) आप जाने अनजाने को अपने favour में इस्तेमाल करते हैं . बार -बार एक ही चीज को achieve करते हुए imagine करने से उसके हकीकत बनने के chances कहीं अधिक बढ़ जाते हैं.
3) अपने goal को लेकर आपका focus बना रहता है और ऐसे लक्ष्य जिसे subconscious mind शुरू में नहीं accept कर पाता धीरे -धीरे उसमे यकीन करने लगता है .
किसे बनानी चाहिए Success Diary?
हर उस व्यक्ति को जिसने अपने लिए कोई लक्ष्य बना रखा हो . Engineer, Doctor, IAS officer,Fashion Designer,Actor etc बनने का goal संजोने वाले students को , अपना business start करने का सपना देखने वाले individuals को , अपने काम को नयी बुलंदियों तक पहुचाने का सपना देखने वाले कर्मवीरों को .इसके आलावा यदि आपकी अपनी fitness, health, personal relationships से सम्बंधित goals हैं तो भी आप Success Diary बना सकते हैं.
और यदि आपका अभी तक कोई लक्ष्य नहीं है तो कृपया यह लेख पढ़ें : “
कब लिखें Success Diary?
इसका कोई time fix नहीं है . जब आपको मौका मिले तब लिखिए . मैं ज्यादातर ये काम office के खाली समय में करता हूँ . कब लिखना है , कहाँ लिखना है , कितना लिखना है ….ये मायने नहीं रखता .जो मायने रखता है वो है लिखना …यकीन जानिये आप अपने goals को achieve करने के बारे में जितना अधिक सोचते-लिखते हैं उतना उसके करीब पहुचते हैं .
और हाँ, अगर आप हाथ से नहीं लिखना चाहते हैं तो Word File को भी as a Success Diary बना सकते हैं.
क्या Success Diary (SD) लिखना सफलता की guaranty है ?
नहीं , ज़रूरी नहीं है कि diary लिख कर भी आप 100% अपने goal को achieve कर ही पाएं …पर इतना ज़रूर है कि आपके सफल होने के chances बढ़ जायेंगे . Definitely बहुत कुछ आपके actions पर depend करेगा , और जब आप SD लिखेंगे तो ये आपको उस दिशा में steps लेने के लिए प्रेरित करेगी , इस तरह आपकी success rate बढ़ जाएगी .
यह भी ध्यान दें कि आप SD को basically Long term goals के लिए use करें , ऐसे goals जिन्हें achieve करने के लिए आपके पास कम से कम 2-4 महीने का time हो . यदि कल आपका test है और आज आप उसमे highest marks पाने के बारे में लिखते हैं तो इसका कोई ख़ास मतलब नहीं है …वहीँ आप 6 महीने बाद होने वाले exam में top करने के बारे में लिखना शुरू करते हैं तो यह ज़रूर काम करेगा .
SD लिखने में क्या challenges आ सकते हैं ?
सबसे बड़ा challenge इसमें believe करने का है . चूँकि बचपन से आपने इस तरह goals को लिखकर उसे achieve करने के बारे में नहीं सुना या practice किया इसलिए आप doubt कर सकते हैं कि ये काम करेगा भी या नहीं ? पर मेरा विश्वास कीजिये ये काम करेगा . मैं ऐसे लोग जो इस लेख को पढ़ रहे हैं और उन्होंने भी इस technique से कोई लक्ष्य प्राप्त किया हो उनसे request करूँगा कि अपने कमेंट्स से अपना अनुभव हमें बताएं.
दूसरा challenge हो सकता है कि आप इसे लिखने की शुरआत जोर -शोर से करें और फिर कुछ दिन बाद ये आपके mind space से गायब ही हो जाए . आपको intentionally इसे लिखना है …..may be कुछ gaps आ जाएं …हो सकता है एक -आध हफ्ते आप इसे बिलकुल भूल ही जाएं …पर हर बार आपको इसे फिर से लिखना शुरू करना होगा , तभी आपको इसका result मिल पायेगा .
एक और challenge आ सकता है कि SD में लिखें क्या ? इसका सीधा अर्थ ये होगा कि आप अपने goals को लेकर clear नहीं हैं , इसलिए पहले अपने goals बनाएं , जल्दबाजी में नहीं सोच -समझकर बनाएं .
Success Diary (SD) Vs Personal Diary (PD)
Friends, आपने personal diary के बारे में ज़रूर सुना होगा , और हो सकता है कि आपने PD बनायीं भी हो . पर SD और PD में बहुत अंतर है . PD में आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी और घटनाक्रम के बारे में लिखते हैं , वो किसी एक चीज को लेकर नहीं होती ,…उसमे आप कुछ भी कहीं से उठाकर लिख सकते हैं ….पर SD का दायरा बहुत छोटा है . वह आपके goals को achieve करने के लिए है …आपको success दिलाने के लिए है . इसलिए अपनी SD को PD से mix मत करिए . हाँ , यदि आप PD लिखने के habitual हैं तो उसे जारी रखिये मगर SD के लिए एक नयी diary बनाइये और उसमे रेगुलरली लिखिए .
मैं इस बात में यकीन नहीं रखता कि नियम से हर रोज़ diary में लिखना ही लिखना है ..ऐसा करने से एक बेकार का pressure feel होता है , इसलिए मुझे जब मन होता है तब मैं अपनी SD में लिखता हूँ , on an average three times a week.
आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आप किसी copy,loose pages के bundle,etc को SD का नाम ना दें . बेहतर होगा कि आप कोई नयी diary खरीदें या घर में रखी किसी fresh diary को use करें . आखिर इसमें आपके सफलता की गाथा लिखी जानी है , वो भी आप ही के हाथों …इसे अच्छा तो होना ही चाहिए .
All the best for “Your Success Diary”!
Wednesday, July 16, 2014
कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना ?
इस article में मैं Spoken English सीखने से सम्बंधित अपनी thoughts share कर रहा हूँ , यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है और आप इससे पूरी तरह असहमत भी हो सकते हैं , पर यदि इससे कुछ लोगों को फायदा पहुँचता है तो मुझे ख़ुशी होगी. :)
दोस्तों हमारे देश में अंग्रेजी बोलना सीखना एक बहुत बड़ा business है . ख़ास तौर पे छोटे शहरों में इसका कुछ ज्यादा ही craze है . आपको जगह -जगह English Speaking से related ads दिख जायेंगे , “ 90 घंटे में अंग्रेजी बोलना सीखें ,”, ”फर्राटेदार अंग्रेजी के लिए join करें XYZ School of Language” etc.
पर क्या यह school सचमुच इतने effective हैं ? शायद नहीं ! क्योंकि वो पहले ही गलत expectation set कर देते हैं ! मात्र 90 घंटे सीखकर किसी भाषा को आसानी के साथ बोलना बहुत मुश्किल है . हाँ , ये हो सकता है कि कुछ दिन वहां जाकर आप पहले की अपेक्षा थोडा और fluent हो जाएं , पर ऐसे कम ही लोग होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का श्रेय ऐसे school को दे सकें.अगर आप पहले से ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और तब ऐसी जगह जाते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है , नहीं तो आपके लिए अच्छा होगा कि आप इस mindset के साथ जाइये कि ऐसे school में जाकर आप एक start कर सकते हैं पर यहाँ से निकलने के बाद भी आपको काफी दिनों तक पूरी dedication के साथ लगे रहना होगा .
तो आइये सबसे पहले मैं आपके साथ अंग्रेजी बोलने से सम्बंधित कुछ myths share करता हूँ :
English बोलने के लिए grammar अच्छे से आना चाहिए : यह एक बहुत बड़ा myth है , आप ही सोचिये कि जब आपने हिंदी बोलना सीखा तो क्या आपको संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि के बारे में पता था ? नहीं पता था , क्योंकि उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी वो तो बस आपने दूसरों को देखकर -सुनकर सीख लिया . उसी तरह अंग्रेजी बोलने के लिए भी Grammar की knowledge जरूरी नहीं है . English Medium school से अच्छी शिक्षा मिलने के कारण मैं अच्छी English बोल लेता हूँ , पर यदि आप मेरा Tenses का test लें तो मेरा पास होना भी मुश्किल होगा .:)
कुछ ही दिनों में अंग्रेजी बोलना सीखा जा सकता है : गलत ! अपनी मात्र भाषा से अलग कोई भी भाषा सीखने में समय लगता है . कितना समय लगेगा यह person to person differ करेगा . पर मेरा मानना है कि यदि कोई पहले से थोड़ी बहुत अंग्रेजी जानता है और वो dedicated होकर effort करे तो 6 महीने में अच्छी अंग्रेजी बोलना सीख सकता है .और यदि आप सीख ही रहे हैं तो कामचलाऊ मत सीखिए , अच्छी English सीखिए .
English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: यह भी गलत है . अपने घर की ही बात करूँ तो मेरे बड़े भैया ने Hindi Medium से पढाई की है , पर आज वो बतौर Senior Consultant काम करते हैं और बहुत अच्छी English लिखते – बोलते हैं . यदि आपको ऐसी schooling नहीं मिली जहाँ आप अंग्रेजी बोलना सीख पाए तो उसपर अफ़सोस मत कीजिये , जो पहले हुआ वो past है , present तो आपके हाथ में है जो चीज आप पहले नहीं सीख पाए वो अब सीख सकते हैं , in fact as an adult आप अपनी हर उपलब्धि या नाकामयाबी के लिए खुद जिम्मेदार हैं.
अंग्रेजी बोलने के लिए अच्छी vocabulary होना जरूरी है : नहीं , vocabulary जितनी अच्छी है उतना अच्छा है , पर generally आम -बोल चाल में जितने words बोले जाते हैं , वो आपको पहले से ही पता होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे. दरअसल हम जो words जानते हैं बस उन्ही को सही जगह place करने की बात होती है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.
अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को अपनाइए .
12 Ideas to Learn Spoken English
स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव
1. अपना महौल English बनाएं : किसी भी भाषा को सीखने में जो एक चीज सबसे महत्त्वपूर्ण होती है वो है हमारा environment, हमारा माहौल . आखिर हम अपनी मात्र -भाषा छोटी सी ही उम्र में कैसे बोलने लगते हैं :- क्योंकि 24X7 हम ऐसे माहौल में रहते हैं जहाँ वही भाषा बोली , पढ़ी, और सुनी जाती है . इसीलिए अंग्रेजी बोलना सीखना है तो हमें यथा संभव अपने माहौल को English बना देना चाहिए . इसके लिए आप ऐसा कुछ कर सकते हैं:
• हिंदी अखबार की जगह English Newspaper पढना शुरू कीजिये .
• हिंदी गानों की जगह अंग्रेजी गाने सुनिए .
• अपने interest के English program / movies देखिये .
• अपने room को जितना English बना सकते हैं बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English books,Cds ..जैसे भी हो जितना भी हो make it English.
2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : कुछ ऐसे दोस्त खोजिये जो आप ही की तरह अंग्रेजी बोलना सीखना चाहते हैं . अगर आपके घर में ही कोई ऐसा है तो फिर तो और भी अच्छा है . लेकिन अगर ना हो तो ऐसे लोगों को खोजिये , और वो जितना आपके घर के करीब हों उतना अच्छा है . ऐसे दोस्तों से अधिक से अधिक बात करें और सिर्फ English में . हाँ ,चाहें तो आप mobile पर भी यही काम कर सकते हैं .
3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
4. पहले दिन से ही correct English बोलने का प्रयास मत करें : अगर आप ऐसा करेंगे तो आप इसी बात में उलझे रह जायेंगे की आप सही बोल रहे हैं या गलत . पहला एक -दो महिना बिना किसी tension के जो मुंह में आये बोले , ये ना सोचें कि आप grammatically correct हैं या नहीं . जरूरी है कि आप धीरे -धीरे अपनी झिझक को मिटाएं .
5. English सीखने के लिए Alert रहे : वैसे तो मैं अपनी spoken English का श्रेय अपने school St.Paul’s को देता हूँ पर अंग्रेजी के लिए अपनी alertness की वजह से भी मैंने बहुत कुछ सीखा है . मैं जब TV पर कोई English program देखता था तो ध्यान देता था की words को कैसे pronounce किया जा रहा है , और किसी word को sentence में कैसे use किया जा रहा है . इसके आलावा मैंने नए words सीखने के लिए एक diary भी बनायीं थी जिसमे मैं newspaper पढ़ते वक़्त जो words नहीं समझ आते थे वो लिखता था , और उसका use कर के एक sentence भी बनता था , इससे word की meaning याद रखने में आसानी होती थी .
6. बोल कर पढ़ें : हर रोज आप अकेले या अपने group में तेज आवाज़ में English का कोई article या story पढ़ें . बोल -बोल कर पढने से आपका pronunciation सही होगा , और बोलने में आत्मविश्वास भी बढेगा .
7. Mirror का use करें : मैं English बोलना तो जानता था पर मेरे अन्दर भी fluency की कमी थी , इसे ठीक करने के लिए मैं अक्सर अकेले शीशे के सामने खड़े होकर English में बोला करता था . और अभी भी अगर मुझे कोई presentation या interview देना होता है तो मैं शीशे के सामने एक -दो बार practice करके खुद को तैयार करता हूँ . आप भी अपने घर में मौजूद mirror का इस्तेमाल अपनी spoken English improve करने के लिए कीजिये . शीशे के सामने बोलने का सबसे बड़ा फायदा है कि आप को कोई झिझक नहीं होगी और आप खुद को improve कर पाएंगे .
8. Enjoy the process: English बोलना सीखेने को एक enjoyment की तरह देखें इसे अपने लिए बोझ ना बनाएं . आराम से आपके लिए जो speed comfortable हो उस speed से आगे बढें . पर इसका ये मतलब नहीं है कि आप अपने प्रयत्न एकदम से कम कर दें , बल्कि जब आप इसे enjoy करेंगे तो खुद -बखुद इस दिशा में आपके efforts और भी बढ़ जायेंगे . आप ये भी सोचें कि जब आप fluently बोलने लगेंगे तब कितना अच्छा लगेगा , आप का confidence भी बढ़ जायेगा और आप सफलता की तरफ बढ़ने लगेंगे .
9. English में सोचना शुरू करें : जब इंसान मन में कुछ सोचता है तो naturally वो अपनी मात्र भाषा में ही सोचता है . लेकिन चूँकि आप English सीखने के लिए committed हैं तो आप जो मन में सोचते हैं उसे भी English में सोचें . यकीन जानिये आपके ये छोटे -छोटे efforts आपको तेजी से आपकी मंजिल तक पंहुचा देंगे .
10. ऐसी चीजें पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़ बना देंगे.
Tuesday, July 15, 2014
The 7 Habits of Highly Effective People in Hindi
यह Post थोड़ी लंबी है. लगभग 2750 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो AchhiKhabar.Com कोBookmarkया Favouritesमें list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें. वैसे Google में AchhiKhabar.Com search करने पर भी आप दुबारा इस Page पर आ सकते हैं.
7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful
आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce करें.
Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए
Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते . Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोगreactive होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और performance को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप अपनी प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc. एकreactive व्यक्ति reactive भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive लोग सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपरreact या चिंता करने के बजाये proactive लोग अपना time और energy ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो control कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:
1)Circle of Concern ( चिंता का क्षेत्र )
2)Circle of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )
Proactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे , कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि जानकारी होना कि हम अपनी energy किन चीजों में खर्च करते हैं, Proactive बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है
Habit 2: Begin with the End in Mind अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें.
तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.
Habit 2 आपके imagination या कल्पना पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental creation होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और ethical guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project की शुरआत एक clear vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2 को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus में रखता है, और आपके ideas को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.
Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities पर focus कीजिये.
Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है.Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इस habitमें Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता है.
Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है.Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इस habitमें Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता है.
लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3 life management के बारे में भी है—आपका purpose, values, roles ,और priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैं? प्राथमिक चीजें वह हैं , जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि , आप अपना समय , अपनी उर्जा Habit 2 में अपने द्वारा set की गयीं priorities पर लगा रहे हैं.
Habit 4: Think Win-Win हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और competition के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
- Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
- Maturity / परिपक्वता : अपनेideas औरfeelings को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
- Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग either/or केterms में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance करने जैसा है.Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और consideration मेंbalance स्थापित हो, यहीreal maturity है, और Win-Win के लिए बेहद ज़रूरी है.
Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.
Communication लाइफ की सबसे ज़रूरी skill है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह सेmiss कर जाते हैं.
सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.
Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए हैं:
Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?
आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.
आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया अवसरदेता है, अवसर देता है खुद को recharge करने का. बस ज़रुरत है
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